श्री १००८ आदिनाथ भगवान (बड़े बाबा) दिगम्बर जैन मंदिर
अतिशय क्षेत्र मंडी बामोरा में भूगर्भ से प्रगटित नयनाभिराम चैतन्य चमत्कारी, अतिप्राचीन, १३ फुट उतंग, प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ 'बड़ेवावा' 1008 श्री आदिनाथ स्वामी 'बडे बाबा' की प्रतिमा लाने का इतिहास और उनका अतिशय ॥ बडे बाबा की प्रतिमा पहिले मढ बामोरा में विराजमान थी, जो सन 1953 में मण्डी बामोरा के समस्त जैन समाज के अथक प्रयास से चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन मन्दिर में लायी गयी थी, विशाल और भारी प्रतिमा जी को लाना सहज और सरल नहीं था, उसे कुरवाई मिस्त्री के द्वारा बनबाई गयी विशेष चेन कुप्पी से साहस और हिम्मत कर लाया गया था, प्रतिमा जी करीब 1900 साल पुरानी है आज भी मढ बामोरा में जैन मूर्तियों का विशाल भंडार है ऐसा अनुमान है। फिर इस प्रतिमा जी का जयपुर के कुशल एवं अनुभवी कारीगरों के द्वारा तराश कर भव्य एवं नवीन रूप प्रदान किया गया, फिर 20 जनवरी से 24 जनवरी 1958 तक विशाल पंच कल्याणक महोत्सव प्रतिष्ठाचार्य श्री पं. पन्नालाल जी सागर द्वारा करवाया गया यह महामहोत्सव बहुत ही आनंद और उत्साह से मनाया गया था आदिनाथ भगवान की प्रतिमा उंचाई 13 फुट 9 इंच है जो बहुत आकर्षक, भव्य मनोज्ञ और अतिशयकारी है आज यहा का समस्त जैन समाज श्रद्धा और भक्ति के साथ नतमस्तक होकर भगवान का पूजन, अर्चन, आरती, स्तुति कर अपने को धन्य मानता है| बडे बाबा की प्रतिमा भी कुण्डलपुर चांदखेडी, सांगानेर एवं बावनगजा के सामन सुन्दर और अतिशयकारी है इस मनोज्ञ प्रतिमा का ऐसा प्रभाव है कि यहां आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का ससंघ 3 बार आगमन हो चुका है इसी अतिशय के कारण आचार्य श्री द्वारा इस नगर के 2 मुनिराज एवं 2 आर्यिका की दीक्षा दी जा चुकी है
अति प्राचीन धरोहर
मण्डी बामोरा के पूर्व दिशा में लगभग 1 कि.मी. दूरी पर मढ़ बामोरा ग्राम है, जहां से सन 1953 में बड़े बाबा कि प्रतिमा सहित अनेकों प्राचीन प्रतिमाए भूगर्भ से प्राप्त हुई| जिनमे से कुछ प्रतिमाए मण्डी बामोरा जैन मंदिर में स्थापित है, अनेकों प्रतिमाए मढ़ बामोरा के मंदिर मे जीर्ण क्षीर्ण अवस्था में अभी भी विराजमान हैं| अभी भी कभी कभी अनेकों जैन प्रतिमाए मढ़ बामोरा ग्राम में भू-गर्भ से निकलती रहती है, जिस तरह यहाँ भूगर्भ से अनेक भव्य चमत्कारी जिन मूर्तियों के मिलने का इतिहास रहा है यह क्षेत्र प्राचीन काल में निश्चित ही जैन धर्म का प्रमुख गढ़ रहा होगा।